Types of Banks |बैंक के प्रकार एंव कार्य।
बैंक के प्रकार
बैंक 9 प्रकार के होते हैं। जो निम्न हैं ----
1. केन्द्रीय बैंक-
2. व्यापारिक बैंक-
3. औद्योगिक बैंक-
4. विदेशी विनिमय बैंक--
5. कृषि बैक-
6. बचत बैंक-
7 डाकघर बचत बैंक-
8 विनियोग बैंक-
9 देशी बैंकर-
बैंक के प्रकार विस्तारपूर्वक
1. केन्द्रीय बैंक।
2. व्यापारिक बैंक।
संयुक्त पूँजी वाले बैंकों को व्यापारिक बैंक कहा जाता है। यह बैंक व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योगों के विकास के लिए अल्पकालीन ऋण देते हैं। भारत में सीमित दायित्व वाले संयुक्त बैंकों की स्थापना सन् 1860 में हुई व्यापारिक बैंक जमा स्वीकार करने, ऋण देने, धन का स्थानान्तरण करने, बिलों की कटौती करने सम्बन्धी जनता को सुविधायें प्रदान करते हैं।
3. औद्योगिक बैंक।
औद्योगिक बैंक उद्योगों को मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋण प्रदान करने की सुविधाएँ प्रदान करते हैं। भारत में औद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम, राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम आदि पाये जाते हैं। इन बैंकों काकार्य औद्योगिक ऋण प्रदान करना है।
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4. विदेशी विनिमय बैंक।
इन्हें 'विनिमय बैंक' भी कहते है। ये बैंक विदेशी व्यापार का ही अथ प्रबन्धन करते हैं। इन बैंकों का मख्य कार्य विदेशी विनिमय विपत्रों का क्रय-विक्रय करना तथा दशा मुद्रा को अन्य देशों की मद्राओं में परिवर्तित करना है।
ये बैंक सोने-चांदी का क्रय-विक्रय भी करते है। इन बैंकों की शाखाएँ विभिन्न देशों में होती हैं, जो विदेशी भुगतान को सरल बनाते हैं। इन बैंको का एक और प्रमुख कार्य होता है अपने ग्राहकों Loan Scheme के द्वारा फायदा पहुंचना।
कृषि का क्षेत्र व्यापार तथा उद्योग से भिन्न होता है। किसान व्यापारिक बैंकों को उस प्रकार की जमानत देने में असमर्थ होते हैं जिस प्रकार की जमानत ये बैंक लेना चाहते हैं।
5. कृषि बैक।
कृषि का क्षेत्र व्यापार तथा उद्योग से भिन्न होता है। किसान व्यापारिक बैंकों को उस प्रकार की जमानत देने में असमर्थ होते हैं जिस प्रकार की जमानत ये बैंक लेना चाहते हैं।
इस कारण व्यापारिक बैंक किसानों को ऋण देना अधिक पसन्द नहीं करते। इसलिए किसानों की सहायता करने के लिए विशिष्ट कृषि बैंकों की स्थापना की गयी है जिन्हें 'कपि बैंक' कहते हैं।
ये बैंक कृषकों कोअल्पकालीन, मध्यकालीन तथा दीर्घकालीन तीनों प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं।
इनको भारत में भुमि विकास बैंक (Land Development Banks) के नाम से जाना जाता है। ये बैंक भूमि को बन्धक रखकर खेती के विकास के लिए दीर्घकालीन ऋण देते हैं। इन बैंकों द्वारा ट्रैक्टर, कृषि यन्त्रों को खरीदने, भूमि में सिंचाई के साधनों के विकास हेतु, मुर्गीपालन तथा पशुपालन के लिए प्रदान किया जाता है।
इस बैंक की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र के गरीब किसानों, भूमिहीन मजदूरों, छोटे दस्तकारों आदि को ऋण प्रदान करने के लिए की गयी है। इन बैंकों का कार्यक्षेत्र एक या दो जिलों तक ही होता है। ये बैंक 'लीड बैंक परियोजना के अन्तर्गत कार्यरत हैं।
जनता की अल्प बचतों को प्रोत्साहित करने के लिए यूरोप के देशों में 'बचत बैंक' स्थापित किये गये हैं। ये बैंक व्यापारिक बैंकों के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। भारत में अलग से बचत बैंकों का कोई अस्तित्व नहीं है। भारत में व्यापारिक बैंक ही बचत खातों का संचालन करते हैं।
(i) सहकारी बैंक।
इन्हें 'सहकारी साख समिति' भी कहा जाता है। ये किसानों को अल्पकालीनऋण प्रदान करते हैं। कोई भी दस या इससे अधिक व्यक्ति मिलकर एक सहकारी साख समिति की स्थापना कर लेते हैं और ये सदस्य अपने पास से धन एकत्र करते हैं।
(ii) भुमि बन्धक बैंक।
इनको भारत में भुमि विकास बैंक (Land Development Banks) के नाम से जाना जाता है। ये बैंक भूमि को बन्धक रखकर खेती के विकास के लिए दीर्घकालीन ऋण देते हैं। इन बैंकों द्वारा ट्रैक्टर, कृषि यन्त्रों को खरीदने, भूमि में सिंचाई के साधनों के विकास हेतु, मुर्गीपालन तथा पशुपालन के लिए प्रदान किया जाता है।
(iii) राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक।
(iv) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक।
इस बैंक की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र के गरीब किसानों, भूमिहीन मजदूरों, छोटे दस्तकारों आदि को ऋण प्रदान करने के लिए की गयी है। इन बैंकों का कार्यक्षेत्र एक या दो जिलों तक ही होता है। ये बैंक 'लीड बैंक परियोजना के अन्तर्गत कार्यरत हैं।
6. बचत बैंक।
जनता की अल्प बचतों को प्रोत्साहित करने के लिए यूरोप के देशों में 'बचत बैंक' स्थापित किये गये हैं। ये बैंक व्यापारिक बैंकों के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। भारत में अलग से बचत बैंकों का कोई अस्तित्व नहीं है। भारत में व्यापारिक बैंक ही बचत खातों का संचालन करते हैं।
7 डाकघर बचत बैंक।
8 विनियोग बैंक।
कछ राष्ट्रों में ऐसी संस्थाएँ स्थापित की गयी हैं जो अल्प बचतों को एकत्रित करके उनका लाभप्रद ढंग से निवेश करती हैं। ऐसी संस्थाएँ विनिमय बैंक' के नाम से जानी जाती हैं। भारत के जीवन बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट आदि इस वर्ग में शामिल किये जाते हैं।
9 देशी बैंकर।
देशी बैंकर्स में साहूकार, महाजन, सर्राफ आदि होते हैं, जो प्राचीन काल से ही बैंकिंग का कार्य करते आ रहे हैं। ये अपना रुपया उधार देते हैं, लेकिन जनता से रुपया उधार नहीं लेते हैं। इन्हें अलग-अलग स्थानों पर कई नामों से भी जाना जाता है; जैसे-चेट्टी, मारवाड़ी, सेठ आदि। ये देशी
बैंकर प्रायः हुण्डियों का प्रयोग करते हैं।
निष्कर्ष।
दोस्तों मैं आशा करता हूँ यह लेख आप सभी को बहुत अच्छा लगा होगा। अगर आप सभी किसी और टॉपिक पर लेख पढ़ना चाहतें हैं टॉप आप निचे कमेंट में लिख सकतें हैं हम आपको उस टॉपिक पर लेख Provide करवा देंगे।
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