Hindi explanation of a girl with a basket 12th class

Hi friends क्या हल है आज हम लोग A girl with basket का  हिन्दी अनुवाद देखेंगे , तो चलिए समय न गवाते हुए देखते हैं ,

पाठ का परिचय ___


विलियम सी. डगलस , जो USA के सुप्रिम कोर्ट का एक न्यायाधीश था , इस पाठ का लेखक है।  वह सन 1950 में भारत के भर्मण पर आया था।  उस समय भारत , शरणार्थी  समस्या में फंसा हुआ था।  दसियों लाख  शरणार्थी , अपना सब रुपया पैसा एवं घरबार गँवा कर भारत में बसने के लिए पाकिस्तान से से यहाँ चले आ रहे थे।  ऐसे शरणाथियों के बच्चों से किसी रेलवे स्टेशन पर इस लेखक की भेंट हो जाती है।  उसने इस शरणाथी बच्चों की गरीबी और संघर्ष को देखा , और रेलवे प्लेटफार्म पर नौ साल की एक बालिका के आत्मा - सम्मान से वह बहुत ही अधिक प्रभावित हुआ था। 

लेखक विलियम सी. डगलस , इस नाटकीय स्थिति का जो उस छोटी लड़की और उसके स्वंग के बीच संयोगवश रेलवे स्टेशन पर भारत में उत्पन्न हो जाती है , इसका मार्मिक वणर्न करता है। 
पाठ का सारांश 

(1 )  लेखक की यात्रा __

 लेखक रेलगाड़ी में नई दिल्ली से बरेली तक जा रहा था।  उसको रेलगाड़ी प्रत्येक स्टेशन पर रूकती जा रही थी।  उसने लोगो से भरे हुए प्लेटफॉर्म देखे।  लेखक ने अंग्रेजी जानने वाले लोगो से बातचीत करके उसने विचार जानने चाहे।  उसने गंगा नदी , जंगलों , बंदरो एवं के दृश्य का भी आंनद लिया।  

(2 )  शरणाथियो बालक __

  किसी एक स्टेशन पर छोटे |_छोटे शरणाथी बालको का झुण्ड लेखक के चारो तरफ इकठ्ठा हो गया।  ये हाथ से बुनी हुई सरकंडो की टोकरियाँ बेच रहे थे।  पाकिस्तान बनने  बाद लगभग नब्बे लाख लोगों को अपनी सम्पति व रोजगार आदि वहाँ पर छोड़ना पड़ा और वे बहुत निर्धन थे। बच्चों के माता पिता भी उन्हें उचित ढंग से भोजन देने के लिए पर्याप्त धन नहीं कमा पते थे।  इस कारण वे बच्चे अपनी टोकरियाँ बेचने के लिए लेखक के चारो ओर इक्कठा हो गये।  


(३ )  नौ वर्ष की सुन्दर लड़की __

  उन शरणार्थी बच्चों से लेखक ने बहुत सी टोकरियाँ खरीदीं।  तभी उसकी निगाहे नौ वर्ष की एक सुन्दर  लड़की  पर पड़ी , जो एक प्यारी सी टोकरी बेचने के लिए उढ़ाये हुए थी , उस लड़की ने आँखों में आंसू भरकर हृदय द्रवित क्र देने वाली वाणी में लेखक से विनती कि की वह उसकी टोकरी खरीद ले।  लेखक पहले ही अनेक टोकरियाँ खरीद चूका था।  उसकी भुजाएँ टोकरियों से भरी थी।  


(4 )  लड़की का आत्मसम्मान से भरा हुआ व्यवहार __

  लेखक को और अधिक टोकरियों की आवश्यकता तो नहीं थी किन्तु फिर भी वह उस लड़की की सहायता करना चाहता था।  इसलिए उसने उस लड़की की टोकरी तो नहीं खरीदी परन्तु उसकी टोकरी  में दान के रूप में कुछ सिक्के दाल दिए। लड़की इस  बात को सहन नहीं कर सकी।  वह निर्धन थी किन्तु वह भिखारी नहीं थी।  उसने वे पैसे लेखक को तुरंत लौटा दिये।  अन्त में लेखक को उस लड़की को उस लड़की की सहायता करने के लिए उसकी टोकरी को खरीदना ही पड़ा।  

(5) लेखक पर प्रभाव __ 

उस निर्धन छोटी _सी बालिका के आत्मासम्मान  से भरे हुए व्यवहार से लेखक बहुत प्रभावित हुआ।  उसने छोटी शरणाथी बालिका में उसे भारतवर्ष की प्राणमयी  आत्मा की झलक मिला गयी।  


I had left New Delhi .............................................. ...............................  ........................   ....and reports . 

हिन्दी अनुवाद __  मैं दिल्ली से हिमालय के लिए चल चूका था।  बरेली तक मैं रेलगाड़ी से और फिर कार से रानीखेत तक जा रहा था जो बर्फ से ढके हिमालय के सामने 120 मील वाले विस्तार में 6,000 फीट ऊँचे पहाड़ी उठान पर स्थित पुरानी रुकने पर मैं अपने डिब्बे के दरवाजे को खोल देता था और प्लेटफॉर्म पर घूम लेता था।  प्लेटफॉर्म लोगों से ठसाठस भरे थे , जिसमे सिख , हिन्दू , फौजी , व्यापारी ,पुजारी ,कुली ,भिखारी ,फेरीवाले थे।  लगभग प्रत्येक नंगे पैर और ढीले _ ढले  सफेद कपडे पहने हुए थे। मुझे कम से कम तीन लोगो से पहले पूंछना पड़ा था तब मुझे अंग्रेजी बोलने वाला एक व्यक्ति मिला था।  उस दिन की ख़बरों पर आधारित दुनिया के मामलों और हर बड़े प्रकरण पर हमने बात की।  इस प्रकार से मैं सरकारी दृष्टिकोण तथा रिपोर्ट से जनता के विचारों की तुलना करके राष्ट्र क लोगों की नब्ज ( भावना ) पहचानने की चेष्टा कर रहा था। 

The route lay ................................................................................................. ...............over drab walls .

वह रास्ता भारतवर्ष के सबसे समृद्ध कृषि क्षेत्रों से होकर था।  यह गंगा नदी के ऊपरी मैदान था जो समुन्द्र के स्तर से एक हजार फीट ऊँचा था लेकिन उष्णा कटिबन्धीय था अर्थात वहॉं पर लम्बे समय तक खूब गर्मी व खूब बरसात पड़ती थी।  भूरी रेत वाली गंगा बाढ़ से उफन रही थी और उसका उफान चावल की हजारों एकड़ की फसल को पानी से भरे हुए था।  उत्तर की ओर जंगल थे _ आदमी के सिर से ऊँची घास का लगातार अति विशाल विस्तार था जो कहीं _कहीं पर वृक्ष कें झुण्डों के अतिरिक्त कहीं से भी टूटा नहीं था __ जो शेरों ,  हाथियों , अजगरों के काळा नागों का घर था।  इसके सिवाय सब जगह सपात मैदान क्षितिज तक फैला था लेकिन कहीं -       कहीं पर इधर _उधर पवित्र बरगद का वृक्ष या पाकड़ के पेंडो की पंक्तियाँ थीं जिनकी आकार एल्म वृक्ष की भाँति था तथा जिनके तने मोटे तथा मुड़े हुए थे।  दक्षिण - पश्चिम से गर्म नम हवा अन्दर चली जा रही थी।  बन्दर , जिनमें से कुछ बन्दरियाँ तो बच्चों को चपकाये हुए थीं , जो नीचे की ओर लटक रहे थे _ भोजन की तलाश में पेंडो से स्टेशन पर कूद पड़े।  जिन गाँवों में से हम गुजरे उनमे दीवार पानी तथा गोबर मिली हुई मिटटी से लिपी हुई थीं।  उनकी ऊँची नुकीली छंतो की ढालू सीटों पर बाँस के दण्डों पर घास के फूल कसकर बनाये हुए छपर थे।  उस दिन उन भददी दीवारों पर उगी हुई कददू ( काशीफल ) के बेलें फूलों से लदी हुई थीं तथा उन मटमैली दीवरों पर लम्बी पीली धारियाँ बना रही थीं।  

At one station .......................................... ........ ............. ..................... ................ ......  where they fell . हिन्दी अनुवाद __ 


टोकरियाँ बेचने वाले बच्चे इन शरणर्थियों के पुत्र - पुत्रियाँ थे।  वे या उनके माँ बाप या रिश्तेदार शहरों में एकठे हो गए थे , छोटी खुली दुकाने लगाकर और साधारण वस्तुएँ बनाकर वे लोग पहले से ही बेहद भीड़ - भाड़ वाले बाज़ारों में उन्हें बेंचकर अपनी रोजी कमाने की चेस्टा कर रहे थे।  कपडे या घास के बने छायादार स्थानों में वे लोग रहा  करते थे जिनकी पंक्तियाँ गलियों में लगी हुई थीं।  इन शरणार्थियों में से जो किसान थे वे तो थोड़े में ही गुजारा  करने के अभ्यस्त थे  क्योंकि एक खेतिहर की वार्षिक आय औसतन एक सौ डॉलर से अधिक नहीं थी।  एक औसत दर्ज़े का अकुशल मजदूर तीस सेंन्ट प्रति दिन या दो डॉलर से कम प्रति सप्ताह कमाता है।  इन्हे एक दिन में एक बार का भोजन जिसमे एक प्याज ,  रोटी का एक टुकड़ा , दूध के साथ एक कटोरी भर दाल और शायद बकरी के दूध थोड़ा पनीर ही प्राप्त होता है।  चाय , काफी , घी, तेल ,मिठाई या माँस की कोई बात तक नहीं।  प्रतिवर्ष एक सौ डॉलर के हिसाब से एक सप्ताह में दो डॉलर भी नहीं पड़ते तो भी जो लोग इन टोकरियों को भी खरीदने के लिए धन नहीं रखते उन छोटे - छोटे  बच्चे टिड्डियों की भाँति मुझ पर टूट पड़े थे।  उनके लिए मैं , अमेरिका का एक निवासी , अब तक देखा गया निःसन्देह सबसे अच्छा ग्राहक था। 

I bought one .................... ............... ............ ..................... ................. ........................ wring my heart . 

  हिन्दी अनुवाद __ 


मैंने एक छोटी सी टोकरी कुछ आनो में , दूसरी टोकरी फलो के लिए कुछ आर्थिक में , रददी कागजों के लिए एक सुन्दर टोकरी  एक रूपये में , सिलाई के सामान रखने के लिए एक प्यारी सी टोकरी एक रूपये में , एक -एक दो - दो आने प्रति पंखे के हिसाब से कुछ थोड़ी - से पंखे खरीदे।  मेरी बाँहे भर गयी और मैंने पचास सेंन्ट भी खर्च नहीं किये थे।  अपने - अपने सौंदे की आवाज लगाते हुए बच्चे आते चले गये।  पूरी तरह से घिरा हुआ एक नौ वर्ष की सुन्दर लड़की थी।  उसके पास हैण्डिल वाली एक प्यारी - सी टोकरी थी , वह उसके लिए डेढ़ रूपये या लगभग तीस सेंन्ट मांगती थी।  उसके याचना में बड़ी लगन थी उसकी आँखो में आँसू थे।  उसने जिन स्वरों में विनती व याचना की उसने मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा। 

My arms were ........... ............ ............. ................. ............   .................    ..............   ..... soul of India.

हिन्दी अनुवाद ___ 


मेरी बांहे भरी हुई थी।  आवश्यकता का तो प्रश्न ही नहीं उठता  की दूसरी टोकरी के लिए मेरे पास कोई स्थान यही था।  अपनी बायीं बांह पर अपनी डोकरियाँ एवं पंखे साधते हुए  मैंने अपने कोट की दाहनी जेब में हाथ डाला  और एक मुट्ठी चिल्लर निकला।  सब मिलाकर शायद पन्द्रह सेंन्ट होंगे , और उसे उस टोकरी में डाल दिया जी वह नन्ही - सी बालिका मेरे सामने याचनापूर्ण ढंग से खरीदने के लिए कड़ी थी।  मैंने समझाना चाहा की मैं टोकरी तो नहीं खरीद सकता था किन्तु उसके स्थान और पर कुछ उपहार दे रहा था , मैंने परन्तु अनुभव किया  की मैं क्या अपराध कर बैढा।  नौ वर्ष की इस बालिका ने जो चीथड़ों को पहने हुए थी तथा भुखमरी के कगार पर थी , अपना चेहरा ऊँचा किया , टोकरी में हाथ डाला और एक संभ्रात महिला के पूरे गर्व शान के साथ पैसा मुझे वापस कर दिये , अब मैं केवल एक ही काम कर सकता था।  मैंने उसकी टोकरी खरीद ली।  उसने अपने आसूं पोंछ डाले, मुस्कुरायी तथा घास की किसी झोपडी में जाने के लिए प्लेटफार्म से तेजी से दौड़ती चली गई ,जंहा पर उस रत उसके पास कम - से कम तीस सेंन्ट तो होंगे।  
मैंने यह कहानी प्रधानमंत्री  पंडित जवाहरलाल नेहरू को सुनाई।  मैंने उन्हें बताया की यही कारण था जिससे मुझे भारतवर्ष से प्रेम हो गया था।  

जो लोग मैंने भारत में देखे __ उनमें वे गांवों में हो या ऊँचे पदों पर हों _ गर्व तथा सद्व्यहार और नागरिकता के प्रति एक जिवन्तः भावना , दोनों का समावेश पाया।  उनमे सवतंत्रा के लिए तीव्र भवना भी है।  यह सुन्दर बालिका _ जो गंदे स्थान तथा निर्धनता में पैदा हुई , जो व्याकरण तथा दोनों में अशिक्षित थी।  मुझे भारत की जीवंत : आत्मा की एक झलक दिखा गयी।  



मैं आशा करता हूँ की यह topic  आप को लाभदायक रहा होगा यदि आप इसे तरह का लाभदायक articles पढ़ना चाहते है तो आप इस website पर daily visit करें 

www . English Babahelp . blogspot . com 



Post a Comment

Previous Post Next Post