"लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी|" शायर इमरान प्रतापगढ़ी।








युवाओं के सबसे पसंदीदा शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने एक नहीं नज़्म पढ़ी है।  जो की वह नज़्म है, लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी। आप लोग शायद यह सोंच रहे होंगे।  यह नज़्म तो जनाब अल्लामा इक़बाल जी ने लिखा था।  जो की सिर्फ भारत में नहीं अपितु पूरी दुनियाँ में यह बहुत ही फेमॉस नज़्म है। 





इसी तराने को मेरे प्रिय शायर इमरान प्रतापगढ़ी जी अपने नए अंदाज़ में एक नया नज़्म लिखा है। इस नज़्म को जब  मेरे प्रिय शायर इमरान प्रतापगढ़ी जी ने अपने यूट्यूब चैनल पे अपलोड की तो यह देखते देखते ही इसका Views 1 Million + हो गया। इसका जीता जगता उदाहरण आप उर्दू न्यूज़ 18 पे अपलोड किया हुआ वीडियो है। 
















 शायर इमरान प्रतापगढ़ी की नयी नज़्म लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी।








लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी।











टूटता जाता है दिल , सांस ठहर जाती है,
हर तरफ़ लाशों के उठने की ख़बर आती है ।









अहले-दुनिया ने तेरी बात नहीं मानी है,
तू है नाराज़ तो वीरानी ही वीरानी है ।








वो बला आई ,वो आफ़त,वो मुसीबत आयी,
सारे आलम को बचाने की ज़रूरत आयी।









तू अगर चाहे तो हर बात को बेहतर कर दे,
इक नज़र डाल के हालात को बेहतर कर दे।







लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी !








हर तरफ़ सिर्फ़ अँधेरा नहीं देखा जाता,
रोज़ इस डर में इज़ाफ़ा नहीं देखा जाता ।








तू जो चाहे तो बुरा वक्त भी टल जायेगा,
रात की कोख से सूरज भी निकल आयेगा।







प्यार की अम्न की, हिम्मत की दवा दे मौला,
हम गुनहगारों को थोडी तो, शिफ़ा दे मौला ।







बागबाँ अपने हर एक गुल की हिफ़ाज़त करना,
हर घड़ी, बाग की, बुलबुल की हिफ़ाज़त करना ।








 लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी,
 सुन ले तू आज ये फरियाद खुदाया मेरी



~इमरान प्रतापगढी








यह नज़्म Video में देखने के लिए यहाँ क्लिक करे।   मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ आप सभी उनके चैनल को Subscribe ज़रूर करे।


इस लेखा का पूरा  Credit मैं मेरे बड़े भाई शायर इमरान प्रतापगढ़ी जी को दे रहा हूँ।  क्योंकि यह नज़्म मैं उनके Facebook Post से लिया हूँ, और यह सारा Image भी उन्ही के ही Facebook Post लिया हूँ। यह भारत के एक बहुत बड़े शायर हैं।  जैसे मिर्ज़ा ग़ालिब जी, अल्लामा इक्बाल जी।



आप से मेरी यह गुज़ारिश है Please भाई जान आप copy राइट मत डलवा देना।

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